आज ही के दिन हुई थी विधायक बेनीवाल की बीकानेर में किसान हुंकार महारैली, उमड़ पड़े थे लाखों किसान

आज ही के दिन हुई थी विधायक बेनीवाल की बीकानेर में किसान हुंकार महारैली, उमड़ पड़े थे लाखों किसान





बीकानेर, राजस्थान। आज 4 फरवरी का दिन हैं, इससे ठीक एक साल पहले बीकानेर की धरती पर किसानों की एक बड़ी और ऐतिहासिक किसान हुंकार महारैली हुई थी। यह किसान हुंकार महारैली तत्कालीन खींवसर विधायक और वर्तमान में रालोपा सयोंजक हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में आयोजित की गई थी। इस रैली में लाखों की संख्या में किसानों का जमावड़ा हुआ था। एक अनुमान के अनुसार इस रैली में 5 से 8 लाख तक किसान शामिल हुए थे।

बीकानेर रैली बेनीवाल की पार्ट-3 किसान हुंकार रैली 

यह रैली विधायक बेनीवाल के द्वारा आयोजित किसान हुंकार रैलियों में से पार्ट-3 थी। इससे पहले विधायक बेनीवाल ने नागौर और बाड़मेर में किसान हुंकार रैलियां की थी। इस रैली में राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने भी भाग लिया, लेकिन बाद में उन्होंने विधायक बेनीवाल को धोखा देकर भाजपा जॉइन कर ली। 

पांडाल में जगह होने के कारण लोगों को पेड़ो पर चढ़ना पड़ा था

इस रैली में लाखों की संख्या में किसान उमड़ा था। राजस्थान के सभी जिलों से किसान आये थे, इनके साथ हरियाणा और उत्तरप्रदेश से भी किसान नेताओं के साथ किसान इस रैली में भाग लेने आये थे। रैली का मैदान पूरी तरह भर चुका था, मैदान में पैर रखने की भी जगह दिखाई नहीं दे रही थी। सैंकड़ो लोग पेडों पर चढ़कर इस रैली को देख रहे थे। इतने किसानों की हुंकार ने इस रैली को राजस्थान की ऐतिहासिक रैली बना दिया था।

बीकानेर रैली ने राजनीतिक गलियारों में अमिट छाप छोड़ी

नागौर और बाड़मेर के बाद लगातार बीकानेर में तीसरी रैली में लाखों की संख्या में ही किसान आये, जिसके बाद इस रैली की चर्चा राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों में भी होने लगी थी। साल 2018 में ही राजस्थान विधानसभा चुनाव होने थे और चुनाव से पहले किसानों का इस तरह उमड़ना भाजपा सरकार के लिए चिंताजनक था। इस कारण राजस्थान से भाजपा को सरकार अब चली भी गई।


सरकार को किसानों के सामने टेकने पड़े थे घुटने

इन किसान हुंकार रैलियों में विधायक बेनीवाल ने कर्जमाफी, टॉल टैक्स जैसे बड़े मुद्दों पर किसानों के साथ राज्य सरकार से मांग की। राजस्थान में किसान आंदोलन भी हुए और आखिकार सरकार को किसानों के सामने घुटने भी टेकने पड़ गए थे। तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने किसानों की मांगे मानते हुए टॉल टैक्स भी हटाया था और 50000 तक किसानों को कर्जमाफी का भी एलान किया था।

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